सुख के मेघ अंधकार से भरी राह
सुख के मेघ अंधकार से भरी राह
अंधकार से भरी राहों में,
एक दिन आएगी ज्योति
सूखा प्यासा सावन को,
मिलेगें मेघ के मोती।
निराश मन सुप्त उर,
झुमेगा कल अम्बर में।
प्रकृति बदले क्षण-क्षण,
आएगा वक्त जीवन में।
बीते दुख के भूलेंगे सावन,
लगेगा नया राग हो ऐसे।
स्नेह, प्रेम के रिस्तों में,
भाव युगों का हो जैसे।
भोर झूमेगा, वासर खुश,
दो पल के सुख,जन्म मुक्त,
बीता वक्त ध्वांत में रहते,
खुशियाँ मिलेगी अमी जैसे।
न छुपेगी न दिखेगी,
सुख सपने अद्भुत जैसे ।
तम गहन निदाघ जीवन,
ना होगा बन कर तपन।
अस्त व्यस्त जन्म का मर्म,
निष्कलुष हो कर्त्ता का कर्म।
सहमी प्रकृति बदलेगा रुख,
बर्षा का पानी सा मिले सुख।
अधंकार से भरी राहों में,
आएगी एक दिन ज्योति
सूखा प्यासा सावन को,
मिलेगें मेघ के मोती।