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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

सुख और दुख

सुख और दुख

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सुख-दुख अटूट हिस्से जीवन के,

ज्यों धूप-छांव या रात और दिन।

इन आना-जाना एक सतत् चक्र है,

जीवन पूरा न हो सकता इनके बिन।


दुख ही तो वह कारक है जीवन का,

जो हमें सुख की अनुभूति कराता है।

बेहतर थे जीवन के गुजरे हुए वे पल,

अहसास भी मुश्किल वक्त कराता है।

समय हमारा था वह भी अति सुखमय,

यह तो हम जान पाते हैं दुख आए बिन।


सुख-दुख अटूट हिस्से जीवन के,

ज्यों धूप-छांव या रात और दिन।

इन आना-जाना एक सतत् चक्र है,

जीवन पूरा न हो सकता इनके बिन।


सम्पन्नता सिखाती है हमको मौका देकर,

मौके बना विपन्नता हमें सिखाती है बेहतर।

सफलता वह कम सुख देती जो मिलती है धन खोकर,

अतिशय सुख देती है वह जो मिलती है खाकर ठोकर।

मिले जो मंजिल घोर तिमिर में खुशी बड़ी ही मिलती है,

खुशी न हो मंजिल मिलने की जो हो उजाला या हो दिन।


सुख-दुख अटूट हिस्से जीवन के,

ज्यों धूप-छांव या रात और दिन।

इन आना-जाना एक सतत् चक्र है,

जीवन पूरा न हो सकता इनके बिन।


जब सुख-दुख हैं ही हिस्से ,

हम कभी न दुख में घबराएं।

सुख के बाद है दुख की बारी,

फिर सुख में हम क्यों इतराएं?

समभाव रहें सुख और दुख में,

अधूरा जीवन दोनों के ही बिन।


सुख-दुख अटूट हिस्से जीवन के,

ज्यों धूप-छांव या रात और दिन।

इन आना-जाना एक सतत् चक्र है,

जीवन पूरा न हो सकता इनके बिन।


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