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Sandeep Kumar

Abstract

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Sandeep Kumar

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सुबह का भुला

सुबह का भुला

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घमंड में डूबे कुछ लोग

कुछ लोग को छोड़ जाते हैं

जाने के बाद अक्सर वह

हाथ मलते रह जाते हैं।


पछताते हैं याद मे लाते हैं

लोट जाने की बात करते हैं

परन्तु ऐसा करने से भी 

दिल को तसल्ली ना दे पाते हैं।


भूले भटके राही कह कर

दोष अकल को देते हैं

सुबह का भूला शाम को

जब घर लौट आ जाते हैं।


ऐसा जीवन में अक्सर

कुछ कारण वश हो जाते हैं

और करने के बाद वह

आपस में पछताते हैं।


जो घमंड में अक्सर

चूर चूर रहते हैं

उन्हीं से अक्सर ज्यादा

ऐसा देखने को मिल पाते हैं।


ऐसी ठोकर लगने से 

सचेत व्यक्ति हो जाते हैं

और ऐसा गलती करने से

बचने का प्रयत्न करते हैं।


तब दोष किसी को देने से पहले

खुद को निर्दोष देखना चाहते हैं

और आगे चलकर वही व्यक्ति

शानदार जीवन जीते हैं।


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