सत्य वाला ख़्वाब!
सत्य वाला ख़्वाब!
एक सपना बहुत ख़ास था।
जिसमें दोनों का विश्वास था।
प्रेम की नगरी वृंदावन,
जाने का क़यास था।
कई प्रयासों तक मिला,
न कोई साधन न साथ था।
पर वो दिन आ ही गया,
जो बहुत ही ख़ास था।
उस दिन स्कूटी मिला साधन,
मिला दोस्तों का साथ था।
एक्सप्रेस वे का सफ़र भी,
वो बहुत यादगार था।
हल्के-हल्के ठंड में तन से,
लिपटा मोटा लिबास था।
वृंदावन की ख़ुशबू का,
कुछ पलों का इंतज़ार था।
फिर कुछ पल में ही मिला।
वो अद्भुत सा एहसास था।
वृंदावन की मिट्टी से,
मिला प्रेम का आभास था।
जो हमारे ख़्वाबों का,
सत्य प्रवेश द्वार था।