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Pankaj Kumar

Abstract

4.8  

Pankaj Kumar

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सत्य का प्रहार

सत्य का प्रहार

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हर तरफ है रोशनी,

हर तरफ उन्माद है

ये सत्य के प्रहार का

घंघोर शंखनाद है। 


धरे धरा पर रह गए,

क्षत विशत शरीर है 

अहंकार से थे भरे,

ये सभी वो वीर है।


काल को पछाड़ कर,

जीत पाया है कौन 

काल-शस्त्र भेद दे

तलवार है न तीर है। 


बुझ गए चिराग कई,

अधर्म की राह पर 

मिट गए अस्तित्व ही,

निर्बलों की आह से।

 

धर्म की अधर्म पर

जीत का संवाद है 

ये सत्य के प्रहार का

घंघोर शंखनाद है। 


नभ में छायी लालिमा, 

या दहक रहा रवि क्रोध में 

सूख न जाये इस तेज से,

जो विशाल अकुपाद है 

ये सत्य के प्रहार का

घंघोर शंखनाद है। 


कहीं कोई जीत का

बिगुल बजा रहे 

कहीं भयभीत हो

रण से पीठ दिखा रहे।

 

दुःसाहसियों, अधर्मियों के

कृत्य का प्रमाद है। 

ये सत्य के प्रहार का

घंघोर शंखनाद है। 


ये सत्य के प्रहार का

घंघोर शंखनाद है। 


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