STORYMIRROR

Shivam Sahu

Tragedy

2  

Shivam Sahu

Tragedy

स्त्री

स्त्री

1 min
106



हे खुदा तुने मुझे बनाया क्यूँ , 

एक मिट्टी के बर्तन की तरह।

जब चाहे जो हमें होठों से लगाया, 

फिर कोने में पडे़ रहने के काबिल बनाया क्यूँ।

एक बार गलत इल्ज़ाम लगा हम पर, 

हमें तु अपमान का पात्र बनाया क्यूँ।

पुरुष की सोंच तू बदला क्यूँ नहीं, 

हमें खेलने के चीज बनाया क्यूँ।

शर्म आती हैं हमको तुझ पर, 

हम महिलाओं को अपमान का पात्र बनाया क्यूँ।

क्या थी हम लोगो की गलती, 

जो ऐसी जिन्दगी में हमें तू बांधा क्यूँ।

छोड़ दे तू मेरी जिंदगी की डोर, 

इस गन्दी डोर में मुझकों बांधा क्यूँ।

हाथ जोड़ विनम्र निवेदन है मेरा, 

छोड़ तू मेरी जिंदगी की डोर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy