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Shivam Kumar sahu

Others

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Shivam Kumar sahu

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स्त्री

स्त्री

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हे खुदा तुने मुझे बनाया क्यूँ , 

एक मिट्टी के बर्तन की तरह।


जब चाहे जो हमें होठों से लगाया, 

फिर कोने में पडे़ रहने के काबिल बनाया क्यूँ।


एक बार गलत इल्ज़ाम लगा हम पर, 

हमें तू अपमान का पात्र बनाया क्यूँ।


पुरुष की सोच तू बदला क्यूँ नहीं, 

हमें खेलने के चीज बनाया क्यूँ।


शर्म आती है हमको तुझ पर, 

हम महिलाओं को अपमान का पात्र बनाया क्यूँ।


क्या थी हम लोगो की गलती, 

जो ऐसी जिन्दगी में हमें तू बांधा क्यूँ।


छोड़ दे तू मेरी जिंदगी की डोर, 

इस गन्दी डोर में मुझको बांधा क्यूँ।


हाथ जोड़ विनम्र निवेदन है मेरा, 

छोड़ तू मेरी जिंदगी की डोर।



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