पुरुष की सोच तू बदला क्यूँ नहीं, हमें खेलने के चीज बनाया क्यूँ। पुरुष की सोच तू बदला क्यूँ नहीं, हमें खेलने के चीज बनाया क्यूँ।
हुआ करती थी अपनी ही एक खूबसूरत दुनिया ख्वाबों की, हुआ करती थी अपनी ही एक खूबसूरत दुनिया ख्वाबों की,