गुरु
गुरु
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ना जाने इस दुनिया के रंग में आप
कब खो गए
कि आप से पढ़ते - पढ़ते हम
बड़े हो गए
बचपन में देते थे जो सलाह
डॉट कर हमें
आज उस सलाह को समझते - समझते
हम खो गए
ना जाने इस दुनिया के रंग में आप
कब खो गए
मन्दिर में खोजूं या मस्जिद में खोजूं
जहाँ आप मुझे मिले
कल तक जो शब्द आपने हमें
था पढा़या
आज वो शब्द आपको लिखने के लिए
कम पड़ गए
आज खुश हो जाता हूँ बचपन की
काॅपी देखकर
जहाँ आप वेरी गुड़ लिख गए
ना जाने इस दुनिया के रंग में आप
कब खो गए!