स्त्री हो गयी मैं
स्त्री हो गयी मैं
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जन्म से ही
नहीं थी मैं
कभी भी
बच्चा
थी मैं
एक कन्या
ज्यों-ज्यों
हुई बड़ी
हो गयी मैं
एक स्त्री
नहीं कभी
कुछ और बनी...
हर पल मैंने
अपना तन
इतना है जिया
सोचती हूँ अक्सर
जाएगा जब
देह छोड़ कर
मेरी आत्मा
होगी वो
निराकार,निरंजन
या उसके भी
उग आए होंगे
एक योनि
दो स्तन?