ससम्मान...
ससम्मान...
माता-पिता से बढ़कर
कोई और इस जहाँ में
हो सकता नहीं !
उनकी जगह सर्वोपरि है ;
वह जगह
कोई और इस जहाँ में ले सकता नहीं...!
ये दुनिया का दस्तूर है --
उसे कोई कभी
बदल सकता नहीं !!
माता-पिता से बढ़कर
कोई और इस जहाँ में
हो सकता नहीं...!!
उनका प्यार कोई
छीन सकता नहीं...
उनसें ये पवित्र रिश्ता
कोई तोड़ सकता नहीं !!