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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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सरलता का कायल मैं

सरलता का कायल मैं

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तुम और तुम्हारी सरलता के साथ

सफर का अनुभव

कहानियों का खजाना है हमारा।

नयापन है इसमें

आधुनिकता है इसमें

और यकीनन जरूरत है जीवन की।


जाने कितनी जटिलताएं

एक सरलता से बिखर गयीं

और अब जटिलता के अस्तित्व का

एक ही हथियार है

कि वो तुम्हारी सरलता को

जटिल और रहस्यमय प्रचारित करे।


बुद्धिमानों से भरी इस दुनिया में

सरलता का आशय

अंधेरे में चक्रमण करती हुई

एक रौशनी है

उदासी में चहक है

और निराशा में आशा है

और यह सब एक सरलता के साथ है

जो बस इतनी सी है कि

हम पहले मनुष्य है

और जो हमारी पहचान है

चाहे बुद्धिजीवी की

चाहे राजनीतिज्ञ की

चाहे कलाकार की

चाहे वैज्ञानिक की


इसीलिए है कि

हम मनुष्य है

और हमारी मनुष्यता

सरलता के साथ हमारी

पहचान को और अद्भुत बना सकती है

यानि कि और सुंदर और उपयोगी।

यूँ ही मैं कायल नही हूँ

तुम्हारी सरलता का

देखा है मैंने तुम्हारी सरलता से

उगते हुये चमत्कार को।


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