सरल
सरल
योग है सरल संतुलन का शरीर का,
जीवन अभिनव का सूत्रधार !
देह मन वाणी कर्म को,
देता है सबको दृढ़ आधार !
जो है प्रकृति का दिया हुआ,
जन जन को सदा उपहार !
साधन साधना की जिसमें,
शरीर की मुद्रा के विभिन्न प्रकार !
कंचन काया को बना कीजिए,
रोग शोक का अतिशय प्रतिकार !
योग स्वस्थ जीवन की कुंजी है,
ऋषि मुनियों ने किया जगत उद्धार !
