सर्जिकल स्ट्राइक
सर्जिकल स्ट्राइक
रौद्र रूप देख थर्रायी है, धरती पाकिस्तान की
कफ़न बाँध कर रण में उतरी, मिट्टी हिन्दुस्तान की
छेड़ रहे थे सिंहों को, थी चर्चा स्वाभिमान की
बालाकोट में गरज रही हैं, मूँछे हिंदुस्तान की
छेड़ रहे हो छेड़ो पर तुम, अपनी जद को भूलो ना
ज्वाला बनकर धधक जाएगी, चिंगारी से खेलो ना
नींद कहाँ से आती हमको, पुलवामा के शोर में
इसीलिए तो तड़के उठकर, मचल पड़े हम भोर में
निकल पड़े रणबीच दीवाने, मिटने को बेताब हुए
अंधियारों में चेहरे चमके, जैसे वो महताब हुए
लश्कर हिज़बुल जैसों को, औक़ात बताने आए हैं
मोदी जी के सिने का, सौग़ात बताने आए हैं
इन सिंहों को रोक सको, ये तेरे बस की बात नहीं
इनको क़ाबू करना तेरी, इतनी भी औक़ात नहीं।
