सरहदों से
सरहदों से
हर देश की सरहदों से ।
अगर फोजी हट जायें।।
उन सरहदों पर अगर।
उस देश के नेता डट जायें।।
फिर मजाल क्या है
किसी तोप की।
कि वो सरहदों पर
गोला उगल जायें।।
उसके बाद बिना
रक्त बहाये ही।
इस जमीं पर जन्नत-ए
समाँ बंध जाये।।
हर देश की सरहदों से ।
अगर फोजी हट जायें।।
उन सरहदों पर अगर।
उस देश के नेता डट जायें।।
फिर मजाल क्या है
किसी तोप की।
कि वो सरहदों पर
गोला उगल जायें।।
उसके बाद बिना
रक्त बहाये ही।
इस जमीं पर जन्नत-ए
समाँ बंध जाये।।