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Ruchi Chhabra

Inspirational

4.9  

Ruchi Chhabra

Inspirational

सरहद

सरहद

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मां की गोद में बैठ के एक दिन

पूछा मैंने एक सवाल

सरहद क्या होती है मां

क्यों सरहद पर मचा बवाल


कहां खो गई केसर की लाली

क्यों माँओ की गोद है खाली

स्वर्ग सी सुंदर थी जो घाटी

खून से सन गई उसकी माटी

कहते सरहद पार से होती


गोली की बोछारों से

कितने सैनिक प्राण गवांकर

बिछड़े है परिवारों से

बोलो मां उस पार है कौन


ईश्वर की सुंदर रचना का

क्यों करते सरहद से भेद

क्या मानव है या है

दानव या है उनका खून सफ़ेद


मां बोली फिर सिर सहला के

बातों से मुझको बहला के

लोग हैं वो भी अपने जैसे

चाहें अमन शांति ऐसे


पर कुछ लोगों का है साया

संकट बन कर उन पर छाया

ना जीते ना जीने देते

नफ़रत दिलों में यूं भर देते

पर तू ना डर मेरे बच्चे


दिन आएंगे फिर से अच्छे

हाथ जोड़ कर ईश्वर से हम

करते यही गुहार

अमन शांति फिर से लौटा दो

कर दो ये सपना साकार


हम को ही कुछ करना होगा

डर से आगे बढ़ना होगा

नहीं झुकेंगे नहीं सहेंगे

ऐसे अत्याचारों को


फूट डाल कर बांट रहे जो

देश के युवा आधारों को

देश प्रेम जब और बढ़ेगा


सपने तब होंगे सच्चे

मन से होगा दूर अंधेरा

दिन आएंगे फिर से अच्छे

दिन आएंगे फिर से अच्छे।


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