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YOGESHWAR DAYAL Mathur

Abstract

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YOGESHWAR DAYAL Mathur

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सरगोशी

सरगोशी

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क्या रिश्ता है हमारा आपसे ?

यही तो पूछा था हमने आपसे ?


गर्मजोशी से गुलशन में मिले थे आप हमसेI

माहौल महकता और ख़ुशगवार थाI

रंगीन और ख़ुश नुमा हम भी थे।

बेफिक्र, मदहोशी से हम डालियों पर

झूमने में मशगूल थेI

आँखों में आपके दिलक़श ख़ुमार था

हसरत भारी नज़रों से देखा था हमें आपनेI

ख़ूबसूरत तो वहां कुछ और भी थेI

पर हम ही आपकी नज़रों में सबसे अज़ीज़ थेI


शफक़त से आप हमें अपने घर ले आए थे I

हम भी बड़े फक्र से आपके साथ चले आए थे।

सजाया था आपने ख़ा अंदाज से हमें गुलदान में।

तब भी पूछा था हमने आपसे,

किस रिश्ते से ले आए हैं आप हमें गुलिस्तान से।

क्या रिश्ता है हमारा आपसे ?


बदल गयी अहमियत हमारी उस घड़ी के बाद से I

पीछे मुड़कर भी ना देखा हमें उस दिन के बाद से,

न जाना क्या हश्र हुआ हमारा उस तंग गुलदान में।

पशेमान हो गए हमें घर लाकर ?

या फिर बेज़ार हो गए हमसे ?

ना-फरमान हम थे, या ख़ुदग़र्ज़ आप निकले

ग़ायब हो गए बग़ैर जवाब दिए उस सवाल का,

जो कई बार था पूछा, हमने आपसे।


क्या रिश्ता है हमारा, आपसे ?

किस हक से लाए थे आप हमें अपने दीवाने ख़ास में?

फ़ुरसत में भी कभी सोचा ये आपने ?

क्या रिश्ता था हमारा, आपसे ?

जब आप फिर गुलिस्तान जाओगे,  

हमसे रूबरू तो नहीं हो पाओगे I

पर हम जैसा फिर कोई मिल जाएगा I

मुक़द्दर फिर वही दास्तां दोहराएगा I

कुछ लमहे घर की रौनक बन जाएगा I

उसे भी आपके जवाब का इंतज़ार रह जाएगा ।

मायूस होकर खामोशी से मुरझा जायेगाI


रफ़्ता रफ़्ता घुटकर वहीं फ़ना हो जायेगा

और बेरुखी से कूड़ेदान में दफ़ना दिया जायेगा I

शायद यह रिश्ता हमारा है “अहसास” का !

क्या ये रिश्ता कभी इस नाम से पहचाना जाएगा ?

और आपकी रिवायत में तस्लीम हो पाएगा ?

फिर बग़ैर किसी बदगुमानी के,

क्या आपसे ये रिश्ता निभाया जाएगा ?

या सबका नाम गुमशुदाओ की फ़ेहरिस्त में

दर्ज़ हो जायेगा? 

“न शिकवा कोई होता, न सवाल कोई उठता,

गुज़र जाते ख़ुशी से हम यादें हसीन लेकर, 

रुकसत किय होता गर उसी रिवायत से,

जिस एहतराम से आप हमें घर लाये थे I

दफ़ना दिया होता गुलिस्ताँ के किसी वीरान कोने में


जहां से आपका गुज़र ही कभी नहीं होता I

मिट जाता निशां हमारा आपके दिलो दिमाग़ सेI

रूह को हमारी शायद वहां कुछ सकूँ भी मिल जाता !”

पर जब तक आपका रवैया बदल नहीं जायेगा

और आपका माकूल जवाब हमें नहीं मिल पायेगा।

सवाल सरगोशी से बाग़ीचे में ही मंडराएगा।

और हर फूल, आपको देखकर, शफक़त से ,

आपसे एक ही सवाल पूछना चाहेगा I

क्या रिश्ता है हमारा आपसे ?

क्या इस सवाल का ज़हीन जवाब

कभी हमें आपसे मिल पायेगा?



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