सपनों की बारिश
सपनों की बारिश
❤️ सपनों का मंडप ❤️
🌹 परिपूर्ण श्रृंगार रस कार्य 🌹
✍️ श्री हरि
🗓️ 11.11.2025
सज्जित है सपनों का राजसी मंडप,
तेरी अलकों की छाया में संवरता,
मृदुल अधरों पर चाँदी-सी हँसी,
मेखला-सी तुम्हारी पायल की झंकार में
धड़कता रहता है मेरा समर्पित मन।
पलकों की झील में, चांद उतर आता है,
छवि ने सपनों के रंग घोल दिए हैं,
तेरी आँखों के गहरे नील जल में,
प्रेम की अमृतधारा बह निकली है।
मिलन की सेज गुलाबों-सी भीगी,
बाँहों का वातायन खुला प्रिय के लिए,
मंद-सुगंधित कुंतल बिखरे गंध की तरह,
प्रेम रंग में सराबोर यह मंडप,
शबनमी स्पर्श की मदिरा में डूबा।
संयोग के स्तंभों से सजी है ये रात,
हर कोना रति रस में अभिसिंचित,
तुम्हारे अधरों की कमनीय मुस्कान पर
मेरा रोम-रोम अर्पित हो जाता है।
सवेरा हुआ तो स्वप्न बिखर गये
पर उस मंडप की सुरभि लिए
प्रेम की उषा मेरे हृदय में समा गई।

