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मिली साहा

Abstract

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मिली साहा

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सफ़र जिंदगी का

सफ़र जिंदगी का

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मंजिल की तलब में ना जाने कितने कांटे चुभते हैं जिंदगी में

अमृत की तलाश में पल-पल ज़हर का घूंट पीते हैं जिंदगी में


चलते संभल कर हर बार यहां फूंक-फूंक कर कदम रखते हैं

एक ना एक बार तो कदम हमारे ज़रूर लड़खड़ा ही जाते हैं


पर मंजिल केवल वही पाते जो संभलने का हौसला रखते हैं

हर लड़खड़ाते कदमों पर तक़दीर को कभी दोष नहीं देते हैं


आसान नहीं होती ज़िन्दगी हर पल आसान बनानी पड़ती है

जो सीख लेते हैं जीना जिंदगी तो उसी की खूबसूरत होती है


दुख तकलीफें जीवन में आते हैं और आकर चले भी जाते हैं

जो परिस्थितियों से लड़ना सीख लेते वो ही सुखी रह पाते हैं


जीवन है तो मुश्किलें हैं यही जीवन की वास्तविक सच्चाई है

लड़ना पड़ता सबको ज़रूर क्योंकि यह जिंदगी की लड़ाई है


दुखों का सागर भी है यहां और सुखों का दरिया भी बहता है

सुख दुख में जीना सीख ले तो भव सागर से पार हो जाता है


हर पल हर कदम हर मोड़ पे एक सख्त इम्तिहान है जिंदगी

कौन सा इम्तिहान कब होगा इस बात से अनजान है जिंदगी


हर इम्तिहान पार करना है तो हमें खुद से करना होगा तैयार

स्व-विश्वास की पतवार ही तो जीवन की नैया लगाएगी पार।


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