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PRATAP CHAUHAN

Abstract Thriller

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PRATAP CHAUHAN

Abstract Thriller

सपाटा

सपाटा

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 चलो चलें अब यात्रा करने,

 सैर सपाटा करके आएं।

 जंगल में मंगल होता है,

 चलो वहां पे चल के आएं।


 रंग बिरंगी इस दुनिया में,

 पंछी उड़ते नील गगन में।

 तितली बागानों में उड़ती,

 हिरण मचलते मैदानों में।


और बढ़ा दी है कुदरत ने,

इंसानों की जिम्मेदारी।

वन उपवन जंगल के लिए,

रखे सुरक्षित जान हमारी।


 इंसान आज कमरों में बंद है,

 भीड़ भाड़ बिल्कुल भी नहीं है।

 सड़क हैं सब खाली खाली,

 यातायात कहीं भी नहीं है।


इन पलों को याद बनाकर,

सदियों तक जिंदा कर देंगे।

सुंदर प्रकृति की तस्वीरों को,

कैद कैमरे में कर लेंगे।


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