सोच ?
सोच ?
सोच देखो हम लड़कों की,
लड़की के प्रति द्वेषों को।
अपनी है तो पवित्र है,
औरों में न चरित्र है।
ऐसा कहते न पर जाता जाते,
अक्सर ऐसा दिखा जाते।
"कर ली",ले ली" इन शब्दों के,
उपयोग में फर्क जब न समझ पाते।
कमी कहाँ हम में है ये,
प्रेम समझ की दूरी से है।
लड़की सिर्फ़ एक तन ही है क्या ?
भोग वस्तु सी मन में है क्या ?
कहते ख़ुद को मर्द समान,
असुर समान रखते अरमान।
बदलो अपने विचारों को,
लड़की के प्रति उदाहरणों को।
हैं निर्मल उत्कलित जल सी,
कल कल बहती शीतल सी।
जीवन सूत्र, मुख्य धारा सी,
डूबते के लिए किनारा सी।