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Sunil Maheshwari

Abstract

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Sunil Maheshwari

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सोच शिखर से ऊपर

सोच शिखर से ऊपर

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सोच अगर तंग है,

तो जिंदगी एक जंग है,

इंसान वह नहीं जो

चेहरे से दिखता है,

इंसान वह है जो

सोच से दिखता है।

रूप और यौवन तो

यारों चार दिन का खेल है,

डूब कर जो रूह में

बहता वो ही प्रेम है।

अब कहाँ चलता है

प्यार बरसों तक,

मिटा के जिस्म की प्यास

लोग मुंह फेर लेते हैं,

रुह से जुड़े रिश्तों पर,

फरिश्तों के पहरे होते हैं,

लाख कोशिशें कर लो

तोड़ने की तुम ये,

और गहरे होते हैं।

अपने किरदार को

मौसम से बचाए रखना,

लौटकर फूलों में

वापस खुशबू नहीं आती,

ये चेहरा ये रौनक ढल ही

जायेंगे एक उम्र क़े बाद,

पर हम मिलते रहगें ताउम्र

यूँ ही अल्फाज़ो के साथ।



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