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Neerja Sharma

Abstract

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Neerja Sharma

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संतुष्टि

संतुष्टि

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करोना के इस काल में

मन रहता बेचैन

क्या करें ,क्या न करें

मन रहता परेशान।


मन को कहीं संतुष्टि नहीं

हलचल रहे मन में हर पल 

सब कुछ सबके पास है 

फिर भी तरसे है दिल।


डर का आलम छाया है 

संतोष कहीं न आया है 

जो भी कर लो चाहे जितना 

बस बेचैन ही पाया है ।


क्या क्यों के बीच में 

मन रहता डाँवाडोल

खुशी मानो हवा हो गई 

मन ढूँढे संतुष्टि के पल ।



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