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Sudhir Srivastava

Abstract

4  

Sudhir Srivastava

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संसार ने दिया क्या?

संसार ने दिया क्या?

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ये सौभाग्य हमारा है 

कि हम इस संसार में आये,

खुशियों के सूत्रधार बने

रिश्तों के आयाम बुने।

पर हमने संसार को क्या दिया

शायद ही सोच पाये,

क्योंकि हमने अपनी भूमिका से

शायद न्याय नहीं किया,

संसार में आने का मतलब जो था

पूरा करने का विचार तक नहीं किया।

हमने संसार को 

फुटबॉल का मैदान समझ लिया,

मर्यादा को फुटबॉल समझ

ठोकर पर ठोकर दिया।

बहुत कराहते हैं हम

संसार ने हमें क्या दिया?

जरा दिमाग पर जोर डालिये

फिर बताइए संसार ने क्या नहीं दिया?

कम से कम इतनी तो अक्ल

लगाइए न हुजूर

एक हाथ देकर ही

दूजे से लेना सीखिए हुजूर।

संसार ने तो पल पल 

आपको दिया ही है,

भ्रम का शिकार हो आप

तनिक अहसास न हुआ है,

जो कुछ आपके पास है

संसार ने ही दिया है

प्रकृति, जल, जंगल, जमीन

वायु, अन्न, वस्त्र, प्रकाश

प्राकृतिक संतुलन, धूप छाँव

जाड़ा, गर्मी, बरसात

रिश्तों का आभास

आपकी हर जरूरत का इंतजाम

सब इस संसार ने ही किया है।

बदले में आपने संसार को

घाव ही घाव दिया है,

सिर्फ़ अपने स्वार्थ की खातिर

संसार को घायल किया है,

अपने घमंड, अतिरेक में सदा

संसार की पीड़ा को 

नजरंदाज किया है,

खुद को संसार से ऊपर ही नहीं

अपने आपको ईश्वर,

जगत नियंता समझ लिया है,

ऊपर से रोना ये भी कि

संसार ने दिया क्या है?



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