संदेश पेड़ का
संदेश पेड़ का
संदेश जीवन का
धरा पर
धरा हरा वेश,
चुपचाप खड़ा
भुजाओं से जकड़
जमीं को
रोक कर मिट्टी पकड़,
सदियों तक करूँ
सेवा निश्वार्थ
मुझ में औषधि
अनाज भी, फूल
फल, जीवनी हवा भी
मनुज, खग का
अस्तित्व भी
हर प्राण का,
घोंसलों में कलरव मुझसे
विविधता जीवों की
सात्विकता मुझसे
बरसात और
इन्द्रधनुषी छटा मुझसे,
स्वछंद विचरण और
कुलांचें जानवरों की
दहाड़ भी मुझसे,
न मिटा मनुज
अस्तित्व को मेरे
मैं वृक्ष मेरा हर
रूप शुभ तेरे,
बचा ले धरा को
रोप ले मुझे
छिटक प्रजातियां हर
सम्भव दिशा मेरे
अब भी रोक ले
जल- पवन का ज़हर
मैं रक्षक तुम्हारा
हर घड़ी प्रहर,
न होने से मेरे ,हो
डांवाडोल जीवन
संभल जा अभी
सफल हो तेरा जतन,
बचा वन उपवन
कर कुछ प्रण,
बचा ले पर्यावरण
बचा ले पर्यावरण।