आत्महत्या क्यों?
आत्महत्या क्यों?


जान लो मृत्यु सत्य अटल इसने,
एक दिन आना ही है, तो आए।
तो फिर क्यों न कुछ ऐसा कर लें,
जो हर लक्ष्य कदमों में झुक जाए।
तूफान मुसीबतों के तुम सुनलो,
एक के बाद एक आते जाएंगे।
इतने भी तो हम भीरू नहीं हैं,
डरकर इनके रोके रुक जाएंगे।
यूं हार गोद मृत्यु की लेकर क्या,
जीवित रह सब करूं मैं सम्भव।
लेकर सहारा मौत का बन कायर,
अपनोंकाजीवन क्यों करूं असंभव।
जिन देवतुल्य माता पिता की,
बहाउंगली पकड़ जीवन झरने में।
क्याऐसे उॠण हो पाऊंगा ॠण से,
यूं विदा लेकर सन्तप्त करके मैं।
आशाओं के सब बांध तोड़कर,
सारी उम्मीदों से मुंह मोड़ कर।
जीवन इतना भी सस्ता तो नहीं,
चला जाऊं सब मंझधार छोड़कर।
मौत मुश्किलों का जवाब नहीं,
हिम्मत रखो रस्ते बेहिसाब यहीं।
रहेगा जीवन तो अवसर कई होंगे,
सुख दुःख के बाग में फूल नए खिलेंगे।