Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Arvina Ghalot

Abstract

4.5  

Arvina Ghalot

Abstract

समय का पहिया

समय का पहिया

1 min
322


पानी को रंग बदलते देखा

समय का पहिया चलते देखा


गांवों को सिसकते देखा

आसमां को पिघलते देखा

छप्पर को बहते देखा

पीड़ाओं का मंजर देखा


पानी रंग बदलते देखा

समय का पहिया चलते देखा


बस्तियों को उजडते देखा

अध नंगे बच्चों को देखा

भूख की व्याकुलता को देखा

मदद की आस ने

आंखों को पथराते देखा


पानी रंग बदलते देखा

समय का पहिया चलते देखा


सड़कों पर पानी का सैलाब है देखा

दोनौं सी बहती गाड़ी को देखा

बंधी आस को टूटते देखा

पानी को जीवन लेते देखा


पानी रंग बदलते देखा

समय का पहिया चलते देखा


जीवन को हाथ मलते देखा

मन में उठती व्याकुलता को देखा

चीजें महंगी जीवन सस्ता देखा

कौन है अपना कौन पराया देखा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract