स्मृति
स्मृति
कुछ तार अब भी बाकी हैं,
सितार अब भी बाकी है।
चलना तो घुटनों के बल,
आकाश पे नज़र, चहक-चहचहाना,
किसी ने कहा गौरैया है,
कैसे सुहानी लगती है रात ?
कैसे हो नज़रों की बात ?
तलवार पुरानी मयान में,
धार अब भी बाकी है।
