स्मरण नित्यप्रति करें
स्मरण नित्यप्रति करें
स्मरण अपने प्रभु का सब नित्य प्रति करें ।
जीवन का आधार है भक्ति,नित प्रभु का गुणगान करें।
मिला मानुष तन हमें सुंदर,उसका भी आभार करें।
नदिया फूल तारे अन्न धन,सकल में प्रभु दर्शन करें।
लिखा जो मिला वो ही हमको,ना बेकार शिकवा करें।
पल पल दाता के खाते में लिखकर दान करें।
भाग्य विधाता की लेखनी,लिखी हुई स्वीकार करे।
कर्म पथ पर बढ़ते जाइए, प्रारब्ध समझ प्यार करें।
अपनी जिम्मेदारी समझे ,जगती का कल्याण करें।
नीति धर्म सदाचार अपना,जीवन धन्य अपना करें।