सम्मान की भूख
सम्मान की भूख
सम्मान का भूखा,हर एक इंसान है,
कर्म से लेकिन,जरा शैतान है,
बात करता,ज्ञान और वैराग्य की,
फितरत से लेकिन,वो थोडा बेइमान है,
आग से खेले,सदा अठखेलियाँ,
राख है मुट्ठी में,ये इत्मिनान है,
राम होता तो,भटकता जंगलों में,
मगर वो,रावन बडा बलवान है,
सम्मान का भूखा,हर एक इंसान है,
कर्म से लेकिन,जरा शैतान है,
स्वयं को है,दुष्ट के संग साधता,
है फरेबों में सभी को बांधता,
कृष्ण होता तो जन्मता जेल में,
कंस सा पर वो,बडा शैतान है,
सम्मान का भूखा,हर एक इंसान है,
फितरत से लेकिन,वो थोडा बेईमान है,
अंधकार में हीं,वो सदा है जागता,
सत्य व प्रकाश से है,भागता,
बुद्ध होता तो,ढूढता सत्य को,
अजातशत्रु सा पर वो बडा हैवान है,
सम्मान का भूखा,हर एक इंसान है,
कर्म से लेकिन,जरा शैतान है,
बात करता,ग्यान और वैराग्य की,
फितरत से लेकिन,वो थोडा हैवान है।