STORYMIRROR

Vinay Singh

Abstract

4  

Vinay Singh

Abstract

सम्मान की भूख

सम्मान की भूख

1 min
23.2K

सम्मान का भूखा,हर एक इंसान है,

कर्म से लेकिन,जरा शैतान है,

बात करता,ज्ञान और वैराग्य की,

फितरत से लेकिन,वो थोड़ा बेइमान है,


आग से खेले,सदा अठखेलियाँ,

राख है मुट्ठी में,ये इत्मिनान है,

राम होता तो,भटकता जंगलों में,

मगर वो,रावण बड़ा बलवान है,


सम्मान का भूखा,हर एक इंसान है,

कर्म से लेकिन,जरा शैतान है,


स्वयं को है,दुष्ट के संग साधता,

है फरेबों में सभी को बांधता,

कृष्ण होता तो जन्मता जेल में,

कंस सा पर वो, बड़ा शैतान है,


सम्मान का भूखा,हर एक इंसान है,

फितरत से लेकिन,वो थोड़ा बेईमान है,


अंधकार में हीं,वो सदा है जागता,

सत्य व प्रकाश से है,भागता,

बुद्ध होता तो,ढूढता सत्य को,

अजातशत्रु सा पर वो बड़ा हैवान है,


सम्मान का भूखा,हर एक इंसान है,

कर्म से लेकिन,जरा शैतान है,

बात करता,ग्यान और वैराग्य की,

फितरत से लेकिन,वो थोड़ा हैवान है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract