समझौता
समझौता


इंसान जीवन जीने के लिए
हर पल समझौता करता है
हर कदम चलने के पहले
सौ बार सोचा कराता है I
कभी रिस्तों में कभी दोस्ती में
अक्सर औरों के जीवन में
यहीं इंसान लोचा कराता हैI
अपने आंगन लगा के चमन
दूसरों के डगर कांटे रोपा करता है I
इंसान जीवन जीने के लिए
हर पल समझौता करता है I