STORYMIRROR

anuradha nazeer

Romance

2  

anuradha nazeer

Romance

समझ पाता हूँ !

समझ पाता हूँ !

1 min
174

आंखों में तारे सिमट रहे हैं

महसूस करता हूं। 

आंखों में तितलियाँ नाच रही हैं

मैंने देखता हूँ।

इन भावनाओं से डरना क्यों? 

समझ न पाता हूँ !

खामोशियों में भी हजार बात सुनाई देती हैं

प्यार का सौगात अमर प्रेम है। 

यह समझ पाता हूँ !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance