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Minal Aggarwal

Children

4  

Minal Aggarwal

Children

स्कूल को भी अपना घर ही

स्कूल को भी अपना घर ही

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घर से विद्यालय 

विद्यालय से घर 

सुबह उठना

तैय्यार होना 

बस्ता कंधे पर लटकाना 

उसमें खाने का टिफिन रखना 

पानी की बोतल रखना 

मस्ती करते हुए दोस्तों के साथ 

स्कूल पहुंचना 

अपनी मनपसंद टीचर्स को देखकर 

खुशी से फूले न समाना 

चिड़ियों की तरह चहकना

फूलों की तरह महकना 

खूब पढ़ना 

खूब खेलना 

न वर्तमान की 

न भविष्य की कोई चिन्ता करना

दोस्तों संग खूब बतियाना 

नये नये खेल खेलना 

सिर से सिर जोड़कर 

हाथ में हाथ थामकर 

कम रोना, अधिक हंसना 

टन टन छुट्टी का घंटा बजते ही 

जूते से सड़क की धूल उड़ाते हुए 

कीचड़ में सने से 

घर पहुंचना 

कपड़े बदलना 

हाथ मुंह धोना 

गर्म गर्म मम्मी के हाथ का 

बना 

पौष्टिक एवं स्वादिष्ट खाना खाना 

थोड़ा सा फिर आराम करना 

शाम को उठकर 

तरोताजा होकर 

जल्दी से होमवर्क खत्म करना 

फिर अपने दोस्तों की टोली के 

साथ खूब धींगा मस्ती करना

रात को थककर 

घोड़े बेचकर 

सो जाना 

सुबह फिर बस्ता लादकर 

हंसते गाते स्कूल पहुंच जाना 

सुबह से दोपहर तक का 

समय वही बिताना 

स्कूल को भी अपना 

घर ही समझना 

एक ही छत के नीचे बैठकर 

एक दूसरे से कितना कुछ सीखना और समझना 

अपने भविष्य का निर्माण करना 

मां, बाप और अपने परिवार 

का बुढ़ापे में सहारा बनने के 

लिए।



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