सकारात्मक सोच
सकारात्मक सोच
दरवाजे़ पर ताला लगता है दरवाजा़ घुट रहा हैं इस बंधन से...
पर वह क्या जाने घर की हिफाज़त के लिए यह बंधन दिया गया हैं।
क्यूं नहीं देख रहे यह ताला आख़िर हिफाज़त के लिए है...
जैसे कभी कभी हमें जिंदगी में बंधन लगते हैं।
पर क्या पता वह हमारी हिफाज़त के लिए भी होते हैं...
हर बंधन का मतलब नकारात्मक तो नहीं होता इसकी और सकारात्मक सोचकर भी देखें।
हम दरवाजे़ पर ताला क्यूं लगाते हैं? जरा एक बार सोचकर तो देखो...
यह सोचकर जिंदगी का नज़रिया बदलकर तो देखो।
फिर जिंदगी जीने का मज़ा ही कुछ अलग होगा...
ना कोई गिला होगा ना कोई शिकवा होगा।
कुछ कुछ बंधन भी अच्छे लगेंगे...
जब समझ में आयेगा वह आपकी बेहतरी के लिए है।
हर दिन दरवाज़े पर नहीं होता है ताला, कभी यही दरवाज़े से आता भी है उजाला...
घुटकर मत जियो यह जिंदगी, एक दिन हमारी जिंदगी में भी आयेगा उजाला।
