सिपाही
सिपाही
सीमा पर खड़ा हुआ वीर जवान,
अडिग अचल है सीना को तान,
बेखौफ निडर वीर सपूत है वो,
नही डरा की मुश्किल में है जान।
दुश्मन राष्ट्र के लिए यमदूत है बना,
मुसीबतों से अक्सर है उसका ठना,
देश प्रेम से बड़ा नही है जीवन में,
यह स्वाभिमान उसके मन में है बना।
आँधी तूफानों को भी सदा संभालता,
मौसम की मार से स्वयं को सँवारता,
हिम खंडों के बीच में खड़ा हुआ वह,
प्रकृति के चोट पर नही कभी कराहता।
उन वीर सपूतों को सदा ही सम्मान है,
देश के वह ही सच्चे आन बान शान है,
जीवन के हर मुश्किल में सदा ही वह,
मातृभूमि के अटल अडिग स्वाभिमान है।
राष्ट्र के वीर सपूतों को मेरा नमन है,
उनके चरणों में अर्पित हमारा वंदन है,
पूजनीय हैं वह सभी देशवासियों के लिए,
उनके लिए आहुति हमारा यह जीवन है।