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AVINASH KUMAR

Abstract Tragedy

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AVINASH KUMAR

Abstract Tragedy

सिला मिला हुआ

सिला मिला हुआ

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मेरा प्यार और तेरी रुसवाई, 

अक्सर ये बातें करते हैं,

ये सरहद ना होती तो कैसा होता.? 


तुम न बेवफा बनती 

न तुम मुझसे दूर होती

ना मैं उस बात पे हैरान होता, 

जब चाहता तब पास होती


प्यार और गहरा तो ऐसा होता, 

मोती समुद्र में रहे वैसा होता...


मेरा प्यार और तेरी रुसवाई , 

हरपल " ये बातें करते हैं....


ये मेरा जुनून है या मेरा गहरा प्यार है 

तेरी हरबात पर मुझे इकरार है ,


आज जब तुम किसी और की हो चुकी है 

तेरी चाह में मेरी रूह खूब रो चुकी है 


फिर भी जब भी होती है पत्तियों की सरसराहट 

दिल मेरा बार बार कहता है लो आ गई उसकी आहट

ये देखता हूँ मैं कब से गुमसुम,

जब कि मुझको भी ये खबर है,

तुम अब दूसरे की हो चुकी हो

मगर ये दिल है कि कह रहा है,

कि तुम अभी भी सिर्फ मेरी हो.......


*मज़बूर ये हालात इधर भी हैं, उधर भी शायद 

ख्वाबों में ही सही पर हरपल हो साथ मेरे 

दिखाने को बहुत कुछ है मगर क्यों दिखाएँ हम,

कब तक यूँही यादों में जियें और सहें हम,

*दिल कहता है कि हर रस्म उठा दें,*

फासले जो है उसे आज गिरा दें,

क्यों परवाने जलते रहें, समां को बता दें,


हाँ हम दीवाने हैं तेरे 

दीवाने हैं तेरे


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