सीखा है झरनों से
सीखा है झरनों से
इतनी ऊँचाई भी ठीक नहीं जो दूसरों को गिरा दे
इतनी गहराई भी ठीक नहीं जो अपनों को ही डुबो दे
इतना उछलना भी ठीक नहीं जो दायरे से बाहर बह चले
इतना खिंचाव भी ठीक नहीं जो रिश्तों को तोड़ दे
इतना दूर जाना भी ठीक नहीं जो वापस दिल में आ ना पाएं
सीखा है हमनें झरनों से हरदम बहते रहना
किसीको गिराएं बिना अपने आप पीछे हट जाना
गर दुःख दिया हो किसी को तो पैर छूके माफ़ी मांग लेना।