सहयोग
सहयोग
चाहे सराहे दुनिया या,
निन्दा करें लोग।
स्वार्थ भाव त्याग प्यारे,
करते रहें सहयोग।
साथ मिले सबका जो,
साथ देते जाएंगे।
मिलें अधिकार सारे,
जो फर्ज सब निभाएंगे।
बढ़ाएंगे मदद के हाथ,
लाख हाथ पाएंगे।
आएंगी अपार खुशियाँ,
भागेंगे जटिल रोग।
स्वार्थ भाव त्याग प्यारे,
करते रहें सहयोग
चाहे सराहे दुनिया।
भाव निस्वार्थ हो,
तभी फल पाएंगे।
हांडी काठ की तो फिर,
चढ़ा नहीं पाएंगे।
भावना निस्वार्थ है जब,
लोग जान जाएंगे।
सभी लोग मिल-जुल के,
हाथ बँटाएंगे।
सुलझेंगी समस्या सारी,
खुशहाल होंगे लोग।
स्वार्थ भाव त्याग प्यारे,
करते रहें सहयोग।
चाहे सराहे दुनिया
सोच जो सकारपूर्ण,
मन में अपने लाएंगे।
दूजों के मन में भाव,
सुंदर ही जगाएंगे।
भलाई के बदले सदा,
भलाई ही पाएंगे।
जगत को कुटुम्ब मान,
गीत गनगुनाएंगे।
दुर्गुण घटाते रहें,
बनाएं मधुर योग।
स्वार्थ भाव त्याग प्यारे,
करते रहें सहयोग
चाहे सराहे दुनिया।