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Pratibha Joshi

Abstract

4.2  

Pratibha Joshi

Abstract

शून्य के आविष्कारक

शून्य के आविष्कारक

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आये सदियों पहले आर्यभट्ट तुम,

कर गए आविष्कार शून्य का,

लग कर शून्य संग शून्य अनेक,

हो गई शुरुआते बहीखातों की,


कुछ जमा हुए कुछ चढ़ गए उधार,

सुन, तू अब बातें मेरे दिल की,

शून्य को तेरे अपनाया हमनें,

ले बहीखातों से उतारा जीवन में


कर दी शून्य भावनाएं हमारी,

शुन्य कर दी देख मानवताएँ,

रूप नया हम लाए शून्य का,

लो हम भी बन गए आविष्कारक,

शून्य नये हमारे ने कर दिया शून्य।


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