कोरोना तुम माफ़ी के लायक़ नहीं
कोरोना तुम माफ़ी के लायक़ नहीं
तू माफ़ी के लायक नहीं,
छीनी तूने रौनकें हमारी,
बढ़ा दी सामाजिक दूरियां,
आया सावन हमारा, बीता सूखा,
लहराता लहराता भादो आया,
सौगातें त्यौहारों की संग लाया,
लाया जन्मोत्सव कान्हा जी का,
माखन बनें घरों में, घरवालों ने खाएं,
रौनकें मंदिरों की हो गई मौन,
आये गजानन शुभ मंगल लिये,
सजे माटी से घर घर विराजे,
महकी राहें मोदकों की महकों से,
छीन गई रोटी दीन मेहनतकशों की,
मिले न राहगीर विनायक के उसके,
दिलों की रानी अब राधारानी आई,
हर आसे दिलों की राधा सी दबाई,
करने पूरी मनोकामनाएं रामदेव जी आते,
सज उठती राहें भक्तों से उनके,
छालें पैरों के धुलते आँसुओ संग,
घर हर होतें स्वागत को आतुर,
रह गई सूनी सड़कें भक्तों से,
छीना उत्साह, छीन लिया उल्लास,
नहीं तू माफ़ी के लायक नहीं,
छीने त्यौहारों संग आमदनी हमारी,
संभलने से पहले गिरा दिया हमें,
अब मत तू कर अभिमान ख़ुदपे,
है हम दीनों का भी एक साथी,
छिपा बैठा है अभी पथ्थरों में,
आना उसका, होगा जाना तेरा,
सज उठेंगे फ़िर त्यौहार हमारे,
लौटेंगी रौनकें भी घरों में हमारे।
