शर्त ए इश्क
शर्त ए इश्क
यह जो कहते हो कि तुमसे इश्क है
मुझसे इश्क करने के लिए
मेरे शर्तों पर खड़े उतर पाओगे क्या ??
मेरे बिन कहे मेरे आंखों में छिपे
दर्द को पढ़ पाओगे क्या ??
रहूं मैं उदास अगर
मुझे बेवजह हंसा पाओगे क्या??
जिस्म की लालच छोड़
मेरे रूह तक तस्लीम कर पाओगे क्या??
मेरे हंसने पर बेशक तुम बारिश ना करवाना
लेकिन मेरे मुस्कुराने की वजह बन पाओगे क्या??
और रूठूँ जो बेवजह ही तुमसे
मेरी इन नादानियों से तुम लड़ पाओगे क्या??
नहीं चाहिए मुझे बाबू- शोना वाले मैसेजेस
मेरे सफलता के पीछे की नींव बन पाओगे क्या ??
बिन सहारे का एक फूल हूं मैं
उसकी तुम इशिका बन पाओगे क्या??
चाह नहीं मुझे तारों के शहर की
धरती पर चार कदम संग चल पाओगे क्या??
यह जो कहते हो कि तुमसे इश्क है
मुझसे इश्क करने के लिए
मेरे शर्तों पर खरे उतर पाओगे क्या ?????

