"श्री कृष्ण स्मरण"
"श्री कृष्ण स्मरण"
जैसे सूरज की किरणों से अंधेरा दूर हो जाता है
वैसे तेरे स्मरणमात्र से हर गम छूमंतर हो जाता है
कोई तुझे माखनचोर कहे, कोई तुझे रणछोर कहे,
जैसे जो याद करे, वैसा ही तेरा दर्शन हो जाता है
मानाकि कृष्णा तू निराकार पर ब्रह्म परमेश्वर है,
पर अपने भक्तों के लिये तू अनेक रूप बनाता है
जैसे सूरज की किरणों से अंधेरा दूर हो जाता है
वैसे तेरे स्मरणमात्र से हर गम छूमंतर हो जाता है
तेरी जय हो कृष्ण कन्हैया, मोर मुकुट बांके बिहारी,
तेरा सांवला रूप हर किसी का मन मोह जाता है
जो एक बार तुझे देख ले, वो संसार भूल जाता है
तुझसे बढ़कर न कोई सुंदर, तू सर्वसुन्दर कहलाता है
हे कान्हा तू ही सोलह चन्द्र कलाओं को धारण करे,
तुझसे बढ़कर न कोई सुंदर, तू सर्वसुन्दर कहलाता है
जैसे सूर्य की किरणों से अंधेरा दूर हो जाता है
वैसे तेरे स्मरणमात्र से हर गम छूमंतर हो जाता है
जन्म-मरण से मुक्त, पर सांसारिक लीला रचाता है
विश्व को गीता दी निष्काम को सर्वोपरि बताता है
तेरी जय हो प्रभु, तू भक्तवत्सल सखा कहलाता है
आज भी तू तो हमारे आसपास ही है, मोहन,
मोह-माया के आगे, तू हमको नजर न आता है
कर कृपा जगतगुरु, तेरे बिना रास्ता कौन दिखाता है
जैसे सूर्य की किरणों से अंधेरा दूर हो जाता है
वैसे तेरे स्मरणमात्र से हर गम छूमंतर हो जाता है
दे माधव, केशव हमको अपनी पावन भक्ति,
भक्ति के कारण तू खम्भे से भी प्रकट होता है
हम भक्त प्रह्लाद नही है, अज्ञानी, पापी मनु है,
लोगों कहते तेरी याद से रात्रि में सवेरा हो जाता है
जब ग्राह ने गज को पकड़ा, गज भी थक गया तगड़ा,
जैसे उसने याद किया, तुरंत तूने उसका उद्धार किया
सच्चे दिल से जो याद करता, उसका बेड़ा तू पार करता,
लख जन्म के पाप धुले, जो भी सच्चे हृदय तुझे याद करे
नानी बाई का मायरा तू भरे, कान्हा तू सबका भला करे
तेरी याद मे, यह साखी हरपल ही बावला रहता है।
बिना मौसम ही अक्षु की धारा को बहाता रहता है
दर्शन दे, दे मोहन तेरे लिये, साखी रात-दिन जगा रहता है
जैसे सूरज की किरणों से अंधेरा दूर हो जाता है
वैसे तेरे स्मरणमात्र से हर गम छूमंतर हो जाता है
कितनी प्रतीक्षा और करायेगा, मुझे केशव,
तेरे बिना मेरा यह जीवन सूना-सूना रहता है
मुझे यकीन है, श्रीकृष्ण, अवश्य मुलाकात करूंगा एकदिन
तुझे एकदिन दर्श देना होगा, यह मेरा मन कहता है।