श्रद्धा और श्राद्ध
श्रद्धा और श्राद्ध
रख न सके मां-बाप को जो भी लोग प्रसन्न
उनको क्या अधिकार है श्राद्ध करें संपन्न।
जीते जी मां-बाप को जिसने रखा प्रसन्न
उसे जरूरत ही नहीं श्राद्ध करे संपन्न।
श्राद्ध कर्म पाखंड है श्रद्धा में है भाव
श्रद्धा का है श्राद्ध से इतना-सा अलगाव।
