"शरद"
"शरद"
शरद की उज्ज्वल रात में,
पूर्ण चंद्र।
खिल उठा है व्योम में,
मन पुलकित है।
शरद की निर्मल रात में,
चांदनी छिटक रही।
उतर आई है अवनि पर,
मन हर्षित है।
शरद की सुहानी रात में,
तारागण दमकते।
चल रहें हैं रात में,
मन रोमांचित है।
शरद की शीतल रात में,
आकाशगंगा तो देखो।
फैल रही है चहुंओर,
मन अचंभित है।।
