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Sumita Sharma

Inspirational

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Sumita Sharma

Inspirational

सहर

सहर

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रात इतराती रही 

स्याही पे अपनी यूँ ही 

सहर ने हँस के कहा

कोख़ में सूरज है मेरी


आपदा पस्त हुई

तंगदिल ताकत को लिए

रब ने भी हँस के कहा

तू भी तो मूरत है मेरी


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