शिवलिंग
शिवलिंग
शिवलिंग से ज्यादा महत्वपूर्ण प्रतिमा
पृथ्वी पर कभी नहीं खोजी गयी।
उसमें हमारी आत्मा का पूरा आकार छिपा है।
और हमारी आत्मा की ऊर्जा
एक वर्तुल में घूम सकती है, यह भी छिपा है।
और जिस दिन हमारी ऊर्जा
हमारे ही भीतर घूमती है
और हम में ही लीन हो जाती है,
उस दिन शक्ति भी नहीं खोती और
आनन्द भी उपलब्ध होता है।
और फिर जितनी ज्यादा शक्ति
सङ्ग्रहित होती जाती है,
उतना ही आनन्द बढ़ता जाता है।
हमने शङ्कर की प्रतिमा को,
शिव की प्रतिमा को अर्धनारीश्वर बनाया है।
शङ्कर की आधी प्रतिमा पुरुष की और
आधी स्त्री की -
यह अनूठी घटना है।
जो लोग भी जीवन के परम रहस्य में जाना चाहते हैं,
उन्हें शिव के व्यक्तित्व को ठीक से समझना ही पड़ेगा।
और देवताओं को हमने देव कहा है,
शिव को महादेव कहा है।
उनसे ऊँचाई पर हमने किसी को रखा नहीं।
उसके कुछ कारण हैं।
उनकी कल्पना में हमने सारा जीवन का सार और
कुञ्जियाँ छिपा दी हैं।
अर्धनारीश्वर का अर्थ यह हुआ कि
जिस दिन परम सम्भोग घटना शुरू होता है,
हमारा ही आधा व्यक्तित्व हमारी पत्नी और
हमारा ही आधा व्यक्तित्व हमारा पति हो जाता है।
हमारी ही आधी ऊर्जा स्त्रैण और
आधी पुरुष हो जाती है।
और इन दोनों के भीतर जो रस और
जो लीनता पैदा होती है,
फिर शक्ति का कहीं कोई विस
र्जन नहीं होता।
अगर हम बायोलॉजिस्ट से पूछें आज,
वे कहते हैं-
हर व्यक्ति दोनों है, बाई-सेक्सुअल है।
वह आधा पुरुष है, आधा स्त्री है।
होना भी चाहिए,
क्योंकि हम पैदा एक स्त्री और
एक पुरुष के मिलन से हुए हैं।
तो आधे-आधे आप होना ही चाहिए।
अगर हम सिर्फ माँ से पैदा हुए होते,
तो स्त्री होते।
सिर्फ पिता से पैदा हुए होते,
तो पुरुष होते।
लेकिन हम में पचास प्रतिशत
हमारे पिता और
पचास प्रतिशत हमारी माँ मौजूद है।
हम न तो पुरुष हो सकते हैं,
न स्त्री हो सकते हैं-
हम अर्धनारीश्वर हैं।
बायोलॉजी ने तो अब खोजा है,
लेकिन हमने अर्धनारीश्वर की प्रतिमा में
आज से पचास हजार साल पहले
इस धारणा को स्थापित कर दिया।
यह हमने खोजी योगी के अनुभव के आधार पर।
क्योंकि जब योगी अपने भीतर लीन होता है,
तब वह पाता है कि मैं दोनों हूँ।
और मुझमें दोनों मिल रहे हैं।
मेरा पुरुष मेरी प्रकृति में लीन हो रहा है
मेरी प्रकृति मेरे पुरुष से मिल रही है।
और उनका आलिंगन अबाध चल रहा है
एक वर्तुल पूरा हो गया है।
मनोवैज्ञानिक भी कहते हैं कि
हम आधे पुरुष हैं और आधे स्त्री।
हमारा चेतन पुरुष है,
हमारा अचेतन स्त्री है।
और अगर हमारा चेतन स्त्री का है,
तो हमारा अचेतन पुरुष है।
उन दोनों में एक मिलन चल रहा है।