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Anita Chandrakar

Abstract

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Anita Chandrakar

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शिवजी

शिवजी

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शिवजी की महिमा न्यारी, कैलाश पर्वत बसे त्रिपुरारी।

करते महादेव नंदी की सवारी, भोले नीलकंठ लीलाधारी।


जटा में जिनके गंगा जी विराजे, कमर में बाघम्बर साजे।

गले में पहने सर्पों की माला, हाथों में डम डम डमरू बाजे।


मस्तक में सुशोभित चंद्रमा, सारे बदन में भस्म लगाते।

भाँग धतूरे का करते वे पान, तन की नश्वरता समझाते।


देवों के देव महादेव है, कैलाश पर्वत से जाते श्मशान।

मृत्यु के स्वामी महायोगी, ज्ञानियों के ज्ञान, परम ध्यान।


रौद्र रूप शिव तांडव करते, महाकाल का रूप है धरते।

सच्चे मन से शिव को पुकारे, मनोकामना वे पूरी करते।


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