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Sunil Kumar

Abstract

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Sunil Kumar

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शिव आराधना

शिव आराधना

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शिव शंकर हम भक्त तुम्हारे बेआस-बेसहारे

लो हम तो आ गए अब शरण में तुम्हारे

शिव शंकर हम भक्त तुम्हारे।


मुफलिस गरीब हम हैं औकात क्या हमारी

आन पड़ी है हम पर विपदा भारी 

मझधार में फंसे हैं मिलते नहीं किनारे 

शिव शंकर हम भक्त तुम्हारे।


तेरी दया से चलती है दुनिया सारी

इक तुम हो दाता सारा जग है भिखारी

हम पर दया जो कर दो 

बन जाए बिगड़ी हमारी।


शिव शंकर हम भक्त तुम्हारे बेआस-बेसहारे

लो हम तो आ गए अब शरण में तुम्हारे

शिव शंकर हम भक्त तुम्हारे।


दर से तेरे न लौटा कोई ले‌कर झोली खाली

हम पर दया जो कर दो बन जाए बिगड़ी हमारी 

विनती मेरी भी सुन लो बस इतनी अरज हमारी

दर पर तेरे खड़ा हूं लेकर झोली खाली

झोली मेरी भी भर दो हे त्रिनेत्र धारी।


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