शिक्षक सतइसा........
शिक्षक सतइसा........
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
जय शिक्षक ज्ञान गुण सागर,
शिक्षा बाँट करें राह उजागर,
देव तुल्य शुभ समाज विचारक।
पयार और मार दोउ अस्त्र धारी,
पास मार्क देकर बने उपकारी,
आपको शत-शत नमन हमारी।
हाँथ में पोथी और चॉक धारे,
कीप साइलेंस हर दो पल बाद उचारें,
विद्यार्थियों के असभ्यता को लताड़े।
कुछ शिक्षक को माखन है भाए,
जो जितना हो सके उनको लगाए,
उसका बड़ा सदा पार हो जाये।
कुछ शिक्षक की बात निराली,
होंठों पर हरदम रहती गाली,
गाल पर हरदम देते रहते ताली।
इम्तेहान जब सर पर हैं आते,
शिक्षक तब ज़मींदार बन जाते,
एक-एक नम्बर के लिए सताते।
विद्यार्थी हो चाहे ऐसा-वैसा
शिक्षक सबके लिए एक जैसा,
शीतल जल के स्पर्श के जैसा।
शिक्षक ही बच्चन, शिक्षक ही गब्बर,
कभी तो कलम, कभी ये रब्बर,
कभी धरती तो कभी है अम्बर।
ऊंचाई में आकाश गहराई में सागर,
जैसे संस्कारों की भारी हुई गागर,
जय शिक्षक ज्ञान गुण सागर।